दरभंगा। शारदीय नवरात्र महापर्व इस वर्ष 22 सितम्बर (सोमवार) से आरंभ होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। आचार्य गणों के अनुसार इस बार माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर और गमन डोली पर होगा। शास्त्रों के मुताबिक यह संयोग अन्नवृद्धि, सौभाग्य, वर्षा की प्रचुरता और सुख-समृद्धि लाने वाला है।

घटस्थापना और शुभ मुहूर्त

महापर्व का शुभारंभ कलश स्थापना से होगा। इसके लिए प्रमुख मुहूर्त प्रातः 6:00 से 7:30 बजे तथा पुनः 9:00 से 11:00 बजे तक रहेगा। कलश में जल, दूब, सुपारी, हल्दी, अक्षत एवं आम/पाकड़ के पत्ते रखकर जयंती धारा बांधी जाएगी। परंपरा अनुसार “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप भी किया जाएगा।

मुख्य पर्व और अनुष्ठान

22 सितम्बर – कलश स्थापना

23 सितम्बर – रेमन्त पूजा

28 सितम्बर – बेल नोती (सायंकाल)

29 सितम्बर – बेल तोरी, प्रतिमा दर्शन, महासप्तमी व्रत, कुमारिका भोजन, निशा पूजा

30 सितम्बर – महाअष्टमी व्रत, कुमारिका भोज, खोँछि भराई

1 अक्टूबर – महानवमी, त्रिशूलिनी पूजा, हवन, सामूहिक भजन-कीर्तन

2 अक्टूबर – विजयादशमी, कलश एवं जयंती विसर्जन, व्रत की पूर्णाहुति

विशेष संयोग

धार्मिक परंपराओं के ज्ञाताओं का कहना है कि इस बार एक और विशेष अवसर बन रहा है। नवरात्र के बाद माताजी का विसर्जन एकादशी तिथि को होगा। यह संयोग भक्तों के लिए अत्यंत शुभ एवं फलदायी माना गया है।

दैनिक आराधना और पूजन परंपरा

नवरात्र के दौरान प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती पाठ, हवन एवं आरती की जाएगी। कन्यापूजन को विशेष स्थान दिया गया है। महाष्टमी को पारंपरिक बलि एवं कुमारिका भोज जबकि महानवमी को सामूहिक भजन-कीर्तन और त्रिशूलिनी पूजा का आयोजन होगा।

विजयादशमी का उल्लास

दशमी के दिन कलश विसर्जन, जयंती धारा का समापन और अखंड दीप अर्पण की परंपरा पूरी की जाएगी। इस अवसर पर मिठाई वितरण एवं देवी यात्रा भी होगी। मिथिला, बंगाल और असम में मान्यता है कि नौ दिनों तक माँ दुर्गा मायके में रहती हैं और दशमी को कैलाश लौट जाती हैं। समाज में उल्लास की सूचना ढोलक-नगाड़े बजाकर “धूल परंपरा” से दी जाती है।

सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक प्रतीक

आचार्यगण बताते हैं कि कलश स्थापना के समय रखी गई जयंती धारा दशमी को पूरी होती है। अखंड दीप विसर्जन के समय अर्पित करना भी आवश्यक माना जाता है। यह परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि परिवार और समाज में सुख-शांति, एकता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।

– डॉ. राकेश कुमार झा,

गणित कर्ता सह संपादक, विश्वविद्यालय पंचांग